Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2021

चेदि वंश

  चेदि वंश अशोक  ने कलिंग युद्ध में विजयी होने के बाद इस राज्य (कलिंग) को  मौर्य साम्राज्य  में मिलाया था परन्तु अशोक की मृत्यु के बाद अन्तिम मौर्य सम्राटों की कमजोरी से लाभ उठाकर  चैत्रराज  ने कलिंग को स्वतंत्र कर लिया था. चैत्रराज की तीसरी पीढ़ी में ही  खारवेल  हुआ जिसका वृतान्त  हाथी गुम्फा के शिलालेख  में विस्तृत रूप से दिया गया है. यह शिलालेख  प्राकृत   भाषा  में है. इससे कलिंग के सम्राट  खारवेल के शासन की घटनाओं के अतिरिक्त उस काल की सामाजिक घटनाओं पर प्रकाश  पड़ता है. इससे पता चलता है कि खारवेल जैन धर्म के अनुयायी था और उसका सम्बन्ध प्राचीन राजवंश के चेदि क्षत्रिय से था (यद्यपि चेदि क्षत्रियों प्रभुत्व मुख्यतया बुन्देलखंड में रहा परन्तु उनकी एक शाखा कलिंग में भी जा बसी थी.)  वह चौबीस वर्ष की आयु में कलिग का स्वतंत्र शासक बना. चूंकि एक तूफान ने उसकी राजधानी भुवनेश्वर के समीप उदयगिरि को काफो क्षति पहुंचायी थी इसलिए उसने सर्वप्रथम अपनी राजधानी की मरम्मत कराई. तालाबों और बगीचों को दुबारा बनवाया. खारवेल एक प्रतापी और यशस्वी शासक था. उसने सर्वप्रथम राज्याभिषेक के दूसरे व अपनी विशाल से

वैदिक शब्दावली (GLOSSARY OF VEDIC TERMS)

  वैदिक शब्दावली (GLOSSARY OF VEDIC TERMS) अमाजू  – अविवाहित लड़की जो जीवनभर कुँवारी रहती है असिकनी  – चिनाब अजा  – बकरी अवत्  – कुएँ आवे  – भेड़ अनस्  – साधारण-सी गाड़ी औदन  – दूध से पकाकर बनायी गई वस्तु आठम्वर  – वीणा असम  – धातु की वस्तु अयस्‌  – धातु अंतर्वेदी  – गंगा दोआब अघन्या  – न मारने योग्य (गाय) अनास  – चपटी नाक वाला, बिना नाक वाला अव्रत  – व्रतों को न मानने वाला अदिति  – देवताओं की माँ अन्य व्रत  – दस्यु अक्षवाप  – जुओं का निरीक्षक अदेवय  – बिना देवता वाले (दस्यु) अकर्मन  – कर्म न करने वाले (दस्यु) अयज्वन  – यज्ञ क्रिया न करने वाले (दस्यु) अपूप  – पुआ अयस  – ताम्बा अस्तेन  – चोर अनूप  – रोटी अब्रात्य  – अछूत अरण्यणी  – जंगल की देवी आप  – जल अब्रह्मण  – वेदों को न मानने वाले अमिक्षा  – दही अधिवास  – ऊपर का वस्त्र अध्वर्यु  – यजुर्वेद के ब्राह्मण अज  – अनार्य जनजाति अनिल  – अनार्य जनजाति (अफगानिस्तान को) ईक्षु  – ईख ईशान  – समिति का अध्यक्ष ईशान  – शिव का एक नाम इन्द्रशुनासीर  – छलयुक्‍त इन्द्र उष्णीश  – पगड़ी उग्र  – पुलिस ऊर्दर  – अनाज नापने का बर्तन उर्वरा  – जुता हुआ खेत ऊर्

मौर्यकालीन शब्दावली (GLOSSARY OF MAURYAN PERIOD)

  मौर्यकालीन शब्दावली (GLOSSARY OF MAURYAN PERIOD) अहितक  : अस्थायी दास जो स्वयं को बेचते थे अपचिति  : छोटे के प्रति उचित व्यवहार आरामभूमि  : जिस भूमि में उद्यान हो आहार  : छोटे प्रशासनिक क्षेत्र जो महामात्रों के अधीन थे आटविक  : वन राज्य आर्यपुत्र  : राजा के निकट सम्बन्धी आमात्य  : अधिकारी वर्ग अमात्य वर्ग  : गुप्तचर विभाग का नियोक्‍ता अश्वदमक  : शाही घोड़ों का प्रशिक्षक अंतपाल  : सीमा क्षेत्र का सैन्य प्रभारी अंत महामात्र  : सीमान्त अधिकारी जो जनता को धम्म व सभ्यता के उपदेश देते थे अध्यक्ष  : मंत्री या विभागाध्यक्ष अग्रमहिषी  : पटरानी अकृष्ट  : बिना जुती हुई भूमि आकराध्यक्ष  : खानों का अधिकारी आदेव मातृक  : जिस भूमि पर वर्षा न हो अनुसंधान  : अधिकारियों का धर्म प्रचार अनिकासनी  : ऐसी स्त्रियाँ जो घर से बाहर न जाती हों… अंत्येवासिन  : मिश्रित वर्ग अनीकस्थ  : शाही हाथियों का प्रशिक्षक अग्रोनोमई  : नगर के अधिकारी अग्रामात्य  : प्रमुख आमात्य अक्षपटल  : केन्द्रीय लेखा कार्यालय अन्तर्वशिक  : शाही हरम का अध्यक्ष आयुधागार  : राज शस्त्रागार अराकोसिया  : चन्द्रगुप्त को दहेज में मिले चार राज्यों