Tuesday, April 20, 2021

चेदि वंश

 

चेदि वंश

अशोक ने कलिंग युद्ध में विजयी होने के बाद इस राज्य (कलिंग) को मौर्य साम्राज्य में मिलाया था परन्तु अशोक की मृत्यु के बाद अन्तिम मौर्य सम्राटों की कमजोरी से लाभ उठाकर चैत्रराज ने कलिंग को स्वतंत्र कर लिया था. चैत्रराज की तीसरी पीढ़ी में ही खारवेल हुआ जिसका वृतान्त हाथी गुम्फा के शिलालेख में विस्तृत रूप से दिया गया है. यह शिलालेख प्राकृत भाषा में है. इससे कलिंग के सम्राट खारवेल के शासन की घटनाओं के अतिरिक्त उस काल की सामाजिक घटनाओं पर प्रकाश पड़ता है. इससे पता चलता है कि खारवेल जैन धर्म के अनुयायी था और उसका सम्बन्ध प्राचीन राजवंश के चेदि क्षत्रिय से था (यद्यपि चेदि क्षत्रियों प्रभुत्व मुख्यतया बुन्देलखंड में रहा परन्तु उनकी एक शाखा कलिंग में भी जा बसी थी.) वह चौबीस वर्ष की आयु में कलिग का स्वतंत्र शासक बना. चूंकि एक तूफान ने उसकी राजधानी भुवनेश्वर के समीप उदयगिरि को काफो क्षति पहुंचायी थी इसलिए उसने सर्वप्रथम अपनी राजधानी की मरम्मत कराई. तालाबों और बगीचों को दुबारा बनवाया. खारवेल एक प्रतापी और यशस्वी शासक था. उसने सर्वप्रथम राज्याभिषेक के दूसरे व अपनी विशाल सेना के साथ सातवाहन राजा शतकर्णी के मुषिक नगर (कृष्णा नदी पर स्थित) पर आक्रमण किया. राज्याभिषेक के तीसरे वर्ष खारवेल ने (जो स्वयं बड़ा भारी संगीताचार्य था ) अपनी राजधानी में अनेक नाच-गाने कराकर जनता को प्रसन्न किया. चौथे वर्ष में उसने राष्ट्रिकों और भोजकों को विजय किया. खारवेल ने अपनी राजधानी तक नहर को बढ़ाया. उसने अपने पौर (नगर) ओर जनपद (राज्य) की सभाओं को विशेष अधिकार दिये. पाँचवें वर्ष उसने 300 वर्ष पूर्व नंदवंश के शासकों द्वारा बनाई नहर को अपनी राजधानी तक बढ़ाया. छठे वर्ष उसने जनकल्याणकारी कार्य तथा दान कार्य किये. उसने अपने राज्याभिषेक के आठवें तथा बारहवें वर्षों में दो बार मगध पर आक्रमण किये. कहा जाता है कि वह मगध तथा अंग को जीतने में सफल रहा. उसने जैन मुनियों के लिए मन्दिर तथा विहार बनवाये. वस्तुत: हाथीगुम्फा के शिलालेख ही चेदि वंश के बारे में जानकारी देते हैं. इससे मगध के मौर्योत्तर सम्राटों की दुर्बलता, उड़ीसा में जन धर्म के प्रसार तथा खारवेल के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है.

वैदिक शब्दावली (GLOSSARY OF VEDIC TERMS)

 

वैदिक शब्दावली (GLOSSARY OF VEDIC TERMS)

  1. अमाजू – अविवाहित लड़की जो जीवनभर कुँवारी रहती है
  2. असिकनी – चिनाब
  3. अजा – बकरी
  4. अवत् – कुएँ
  5. आवे – भेड़
  6. अनस् – साधारण-सी गाड़ी
  7. औदन – दूध से पकाकर बनायी गई वस्तु
  8. आठम्वर – वीणा
  9. असम – धातु की वस्तु
  10. अयस्‌ – धातु
  11. अंतर्वेदी – गंगा दोआब
  12. अघन्या – न मारने योग्य (गाय)
  13. अनास – चपटी नाक वाला, बिना नाक वाला
  14. अव्रत – व्रतों को न मानने वाला
  15. अदिति – देवताओं की माँ
  16. अन्य व्रत – दस्यु
  17. अक्षवाप – जुओं का निरीक्षक
  18. अदेवय – बिना देवता वाले (दस्यु)
  19. अकर्मन – कर्म न करने वाले (दस्यु)
  20. अयज्वन – यज्ञ क्रिया न करने वाले (दस्यु)
  21. अपूप – पुआ
  22. अयस – ताम्बा
  23. अस्तेन – चोर
  24. अनूप – रोटी
  25. अब्रात्य – अछूत
  26. अरण्यणी – जंगल की देवी
  27. आप – जल
  28. अब्रह्मण – वेदों को न मानने वाले
  29. अमिक्षा – दही
  30. अधिवास – ऊपर का वस्त्र
  31. अध्वर्यु – यजुर्वेद के ब्राह्मण
  32. अज – अनार्य जनजाति
  33. अनिल – अनार्य जनजाति (अफगानिस्तान को)
  34. ईक्षु – ईख
  35. ईशान – समिति का अध्यक्ष
  36. ईशान – शिव का एक नाम
  37. इन्द्रशुनासीर – छलयुक्‍त इन्द्र
  38. उष्णीश – पगड़ी
  39. उग्र – पुलिस
  40. ऊर्दर – अनाज नापने का बर्तन
  41. उर्वरा – जुता हुआ खेत
  42. ऊर्ण – ऊन
  43. उपाकर्म – शिक्षा सत्र की शुरूआत
  44. उदगात्‌ – सामवेद से सम्बन्धित
  45. कौश – रेशम
  46. कैवर्त – मछुआरा
  47. कुलाल – कुम्हार
  48. क्रम्ब – माथे का टीका
  49. केतु – छोटा झण्डा
  50. कुलप – परिवार का मुखिया
  51. कीनाश – हलवाहा
  52. कुसीदीन – सूद लेने वाला
  53. कुल्या – नहर
  54. कृष्ण अयस – लोहा
  55. कमरि – लोहार
  56. कुभा – काबुल
  57. कुर्मु – कुर्रम
  58. कर्षण – जुताई
  59. करीष – गोबर की खाद
  60. क्रिवि – अनार्य कबीला
  61. कृष्‌ – खेती करना
  62. कृत्या – जादू टोना मे सम्बन्धित अपकारी शक्ति
  63. कुरु – पुरु व भरत मिलकर बना
  64. खल – संग्रहालय
  65. गण – सेना की इकाई
  66. कारू – मन्त्र निर्माता (नवें मंडल में)
  67. गोधूम – गेहूँ
  68. गोमत – धनी व्यक्ति
  69. गोहन्ता – अतिथि (इसके आने पर गाय का माँस खिलाया जाता था)
  70. ग्राम – छोटी कबायली टोली
  71. गौबल – भैंस (गाय जैसी दिखने वाली)
  72. गोमती – गोमल
  73. गोत्र – गौ समुदाय
  74. गृहपति – परिवार का मुखिया
  75. गोप, जनस्य, गोपा – कबीले का मुखिया या राजा
  76. ग्रामणी – गाँव का मुखिया
  77. गवेषण, गोषु, गप्य, गभ्य – युद्ध के लिए शब्द
  78. धन्ब – मरुस्थल
  79. धान – अन्न
  80. घावापृथ्वी – आकाश व पृथ्वी का संयुक्त नाम
  81. धर्मन – कानूनी शब्द
  82. घौस – आकाश
  83. धान्यकृत – अन्न उत्पन करने वाला
  84. त्रपु – टिन
  85. ऋभु – बौना (धातुओं पर असर डालने वाला)
  86. ऋत – नैतिक आचरण का स्वामी, वरुण
  87. वृत्रासुर – अकाल, पाले वहिम का असुर
  88. वृत्रासुर हन्ता – इन्द्र
  89. ऋतस्य गोपा – वरुण
  90. चर्मम – मोची
  91. चित्रपट – भित्तिचित्र
  92. जन – अनेक कबीलों का समूह
  93. जनस्य गोपा – राजा
  94. जातवेद्स – अग्नि
  95. जनपद – अनेक कबीलों से बना संगठन
  96. तसर – करघा
  97. तर्प्य – रेशमी कपड़ा
  98. तन्तु ओतु – ताना-बाना
  99. तुर्वस – पंचजन में से एक जन
  100. तक्षण – एक राजा
  101. दुसद्धती – घग्घर नदी
  102. दुहिता – पुत्री
  103. दिशणा – वनस्पति को देवी
  104. द्स्यु – भारत के मूल निवासी
  105. दात्र – दराँती
  106. देवपीयु – देवताओं को अपवित्र करने वाले
  107. निघापति – चिड़ीमार
  108. निस्क – आभूषण
  109. नद्र – नरकट
  110. नृप्त – भतीजा, दादा, नाना
  111. निष्क्रिय – वस्तु-विनिमय
  112. न्योचना – गले का हार
  113. नापित – नाई
  114. नैष्ठिक – जीवन-भर ब्रह्मचारी रहकर अध्ययन करने वाला
  115. पणि – व्यापारी
  116. पुरुष्णी – रावी
  117. पुरप – दुर्गपति
  118. पुरन्दर – इन्द्र (किले तोड़ने के कारण)
  119. पेशस – कढ़े हुए वस्त्र
  120. पर्जन्य – बादल
  121. प्रतिहार – राजा का रक्षक
  122. पुरभिद – बादलों को तोड़कर जल को मुक्त करने वाला
  123. प्रावा – कुआँ
  124. परिपया – पश्चिमी विन्ध्य
  125. परिपशु – राजा के द्वारा आयोजित धार्मिक यज्ञ
  126. पलत – तिलकुट
  127. पंचकृष्टय: – कृषि करने वाले लोगों का समूह
  128. पुरचषि्णु – दुर्ग तोड़ने वाला यंत्र
  129. बेकनाट – सूदखोर
  130. ब्रीहि – चावल
  131. बलि – चढ़ावा या कर
  132. बृबु – पणियों का अधिकारी या राज
  133. बल – किसान
  134. बाबता – प्रियतमा
  135. ब्रात – सेना की इकाई
  136. ब्राजपति – चारगाह अधिकारी
  137. भिषक – वैद्य या चिकित्सक
  138. मंजूवत – हिमालय की चोटी
  139. मर्षण – भड़ाई
  140. माण – उड़द
  141. मुद्ग – मूँग
  142. महोक्ष – बड़ा बैल
  143. मृद्धवाच – अस्पष्ट वाणी बोलने वाले
  144. मरुवर्दवन –मरुद्धधा
  145. मतिथाघर – मंत्र का जानकार
  146. मन्ध – धान का सत्तू
  147. महामशी – दलाल
  148. यव – जौ
  149. यक्ष्मा – तपेदिक (टीबी)
  150. यवाग – जौ का आटा
  151. रयि – धनी व्यक्ति
  152. रक्षक – जन का सर्वोच्च अधिकारी
  153. रत्निन – अधिकारी वर्ग
  154. रई – चाँदी की छड़
  155. रुक्य – लॉकेट जैसा आभूषण
  156. रयि – चाँदी का सिक्का
  157. लुनन – कटाई
  158. लांगल – हल
  159. लहद – पोखर
  160. विश – अनेक ग्रामों का समूह
  161. वाय – जुलाहा
  162. विश्रस्यभुवनस्य – सम्राट
  163. विशपति – विश का सर्वोच्च अधिकारी
  164. विपासा – व्यास नदी
  165. वकू या वृक – बैल
  166. विश – जनता
  167. वपन – बुआई
  168. वर्ष – गड़ढा
  169. विदलकरी – टोकरी बनाने वाली
  170. वास – शरीर का ऊपरी वस्त्र
  171. वाप्ता – नाई
  172. विशमत्ता – जनता का भक्षक
  173. वहतु – दहेज
  174. विदथ – जनसभा
  175. वर्धकिन – बढ़ई
  176. वृहतकेतू – बड़ा ध्वज
  177. विरिवृन्ति – पुत्रहीन स्त्री
  178. वितस्ता – झेलम
  179. शततंतु – वाद्ययन्त्र
  180. शुतुद्री – सतलज
  181. श्याम – लोहा
  182. शुन्ध्यव – ऊन
  183. शण – सन्‌
  184. श्रेष्ठिन – श्रेणी का अध्यक्ष
  185. क्षोभ – अलसी का सूत
  186. क्षौम – रेशम (मैत्रायणी संहिता)
  187. सुवास्तु – स्वात
  188. सुरसती – सरस्वती
  189. सीस – सीसा
  190. सदानीरा – गंडक नदी
  191. सामूल्य – ऊनी कपड़ा
  192. स्पिवि – अनाज जमा करने वाला
  193. सूप – भूसा उड़ाने वाला
  194. सुजात – श्रेष्ठ व्यक्ति
  195. सुयाव – बेकार बंजर भूमि
  196. सीता – हल से बनी नालियाँ
  197. सीर – हल
  198. सूची – सूई
  199. स्पश – गुप्तचर
  200. सुषोमा – सोहन
  201. सौदायिक – पति, पिता, माता द्वारा स्त्री को दिये उपहार
  202. सिवता – विदुषी कन्या
  203. सैलूश – अभिनेता
  204. सिरी – कताई-बुनाई वाली स्त्री
  205. समन – समारोह
  206. समिधा – लकड़ी
  207. सपिंड – अग्नि के सामने पशुबलि
  208. सामूली – ऊनी वस्त्र

मौर्यकालीन शब्दावली (GLOSSARY OF MAURYAN PERIOD)

 

मौर्यकालीन शब्दावली (GLOSSARY OF MAURYAN PERIOD)

    1. अहितक : अस्थायी दास जो स्वयं को बेचते थे
    2. अपचिति : छोटे के प्रति उचित व्यवहार
    3. आरामभूमि : जिस भूमि में उद्यान हो
    4. आहार : छोटे प्रशासनिक क्षेत्र जो महामात्रों के अधीन थे
    5. आटविक : वन राज्य
    6. आर्यपुत्र : राजा के निकट सम्बन्धी
    7. आमात्य : अधिकारी वर्ग
    8. अमात्य वर्ग : गुप्तचर विभाग का नियोक्‍ता
    9. अश्वदमक : शाही घोड़ों का प्रशिक्षक
    10. अंतपाल : सीमा क्षेत्र का सैन्य प्रभारी
    11. अंत महामात्र : सीमान्त अधिकारी जो जनता को धम्म व सभ्यता के उपदेश देते थे
    12. अध्यक्ष : मंत्री या विभागाध्यक्ष
    13. अग्रमहिषी : पटरानी
    14. अकृष्ट : बिना जुती हुई भूमि
    15. आकराध्यक्ष : खानों का अधिकारी
    16. आदेव मातृक : जिस भूमि पर वर्षा न हो
    17. अनुसंधान : अधिकारियों का धर्म प्रचार
    18. अनिकासनी : ऐसी स्त्रियाँ जो घर से बाहर न जाती हों…
    19. अंत्येवासिन : मिश्रित वर्ग
    20. अनीकस्थ : शाही हाथियों का प्रशिक्षक
    21. अग्रोनोमई : नगर के अधिकारी
    22. अग्रामात्य : प्रमुख आमात्य
    23. अक्षपटल : केन्द्रीय लेखा कार्यालय
    24. अन्तर्वशिक : शाही हरम का अध्यक्ष
    25. आयुधागार : राज शस्त्रागार
    26. अराकोसिया : चन्द्रगुप्त को दहेज में मिले चार राज्यों में से एक
    27. अग्निस्कंध : एक प्रकार की धर्मसभा
    28. अवन्ति : मौर्य का एक प्रांत जिसकी राजधानी उज्जैन थी
    29. अवांगमुखी कमल : स्तम्भों का शीर्ष भाग
    30. इफोरोई : अधिकारी
    31. इंडिका : मेगास्थनीज की कृति (इसका मूलरूप उपलब्ध नहीं, पर यह स्ट्रोबे, प्लिनी व डायोडोरस के वर्णन पर आधारित है)
    32. उट्ज : इस्पात
    33. उपवास : काश्तकार
    34. उपराजा : राजा का नायब
    35. उपगुप्त : उत्तरी भारत की अनुश्रुति के अनुसार अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने वाला
    36. एरिया : चन्द्रगुप्त मौर्य को दहेज में प्राप्त प्रांत
    37. एंटियोकस प्रथम : सेल्यूकस का उत्तराधिकारी जिसने बिन्दुसार के पास डाइमेकस नामक दूत भेजा
    38. कृष्ट : जुती हुई भूमि
    39. कुप्याध्यक्ष : वन सम्पत्ति का अध्यक्ष
    40. कुमार : प्रांतीय शासक (शासक वर्ग से होता था)
    41. कंटशोधन : फौजदारी न्यायालय
    42. कृत्यगृह : वन उत्पादों का भण्डारगृह
    43. कुणाल : अशोक का उत्तराधिकारी
    44. कोषगृह : कोषागार
    45. कार्मातिक : धान्य कर्मशाला
    46. कर्मकार : खेत मजदूर
    47. खावेटिक : 200 गाँवों का न्यायालय
    48. खट्टालक : बिन्दुसार का मंत्री जिसने अशोक को राजा बनने में मदद दी
    49. गोप : छोटे स्तर का राजस्व अधिकारी
    50. गोध्यक्ष : पशु विभागाध्यक्ष
    51. ग्रामकूट : ग्राम प्रधान
    52. ग्रामणी : ग्रामीण प्रशासन का उत्तरदायी कर्मचारी
    53. गूढ़ पुरुष : गुप्तचर
    54. गेहविजय : राहुलोवादसुत्त का दूसरा नाम, जिससे धम्म का सार लिया गया
    55. धम्म : अशोक द्वार प्रतिपादित नैतिक धर्म
    56. धम्ममहामात्र : अशोक के राज्यारोहण के 14वें वर्ष नियुक्त, इसका कार्य जनता को धम्म समझाना व धर्म के प्रति रुचि पैदा करना
    57. धर्मविवर्धन : कुणाल का विरुद
    58. धर्म-चक्र-प्रवर्तन : सारनाथ में बुद्ध द्वारा पाँच ब्राह्मणों को दिया गया प्रथम उपदेश
    59. चार : गुप्तचर
    60. चक्र : प्रांत
    61. चांडिय : उग्र व्यवहार से बचाव
    62. दौवारिक : राजप्रसाद का द्वारपाल
    63. दण्डपाल : पुलिस मंत्री
    64. दुर्गपाल : गृह रक्षामंत्री
    65. द्रोणमुख : 400 गाँवों का न्यायालय
    66. दायक : राजा से सीधे आदेश प्राप्तकर्ता अधिकारी
    67. देवाध्यक्ष : धार्मिक संस्थाओं का अध्यक्ष
    68. द्रत्यवन : ऐसे वन जहाँ लकड़ी, लोहा व अन्य धातुएँ मिलती हैं
    69. तीर्थ : अधिकारियों के विभाग
    70. तक्षशिला : मौर्यों का प्रांत
    71. धर्मस्थीय : दीवानी न्यायालय
    72. नही : शूद्र का दास
    73. नायक : नगर कोतवाल
    74. नगरक : नगर मजिस्ट्रेट
    75. नावाध्यक्ष : जहाजों का अध्यक्ष
    76. नीवी ग्राहक : कोषाध्यक्ष
    77. नायक पदादिनेत : पैदल सेना प्रमुख
    78. निग्रोध : अशोक के बड़े भाई सुमन का पुत्र, जो भिक्षु था व जिसने अशोक को दीपवंश के अनुसार बौद्ध धर्म में दीक्षित किया
    79. प्रादेशिक : जिलाधिकारी
    80. प्रणय : आपातकालीन कर
    81. पादात : पैदल
    82. पत्तनाध्यक्ष : बन्दरगाह नगर प्रमुख
    83. पाण्याध्यक्ष : वस्तुओं की खरीद-बिक्री का नियंत्रणकर्ता
    84. प्रशास्ता : सेनापति के अधीन युद्ध कार्यालय
    85. प्रवहरण : सामूहिक समारोह
    86. प्रदेष्टा : नैतिक अपराधों का मुख्य न्यायाधीश
    87. परिषा : मंत्रिपरिषद
    88. पुलसिन : जनसम्पर्क अधिकारी
    89. पौतवाध्यक्ष : माप-तौल का अध्यक्ष
    90. प्लूटार्क : इसके अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी दिये
    91. पेरीपेमिसदाई : चन्द्रगुप्त मौर्य को दहेज में मिला प्रांत
    92. पौर : राजधानी का प्रशासक
    93. प्रतिवेदक : राजा के समाचार वाहक
    94. वज्रभूमिक : गौशाला निरीक्षक
    95. बंधनागाराध्यक्ष : कारागृह अध्यक्ष
    96. बुद्धशाक्य : राज्याभिषेक से सम्बन्धित लघु शिलालेख में अशोक ने अपने को कहा
    97. बृहद्रथ : अंतिम मौर्य सम्राट
    98. ब्रह्मदेय : राजा के शिक्षक, पुरोहित व वेदपाठी ब्राह्मण को दी जाने वाली भूमि
    99. भिक्षुकी : महिला गुप्तचर
    100. भृत : भाड़े के सैनिक
    101. भाग : भूमिकर में राजा का हिस्सा
    102. भोगागम : जेट्ठकों को निर्वाह हेतु ग्राम की ओर से मिलने वाला कर
    103. मानवक : गुप्तचर
    104. मूलवाप : जिस भूमि में जड़ वाली खेती हो
    105. मगध : चाट या चारण
    106. महामात्यापसर्प : गुप्तचर विभाग का अध्यक्ष
    107. मूषिक कर : प्लेग फैलने पर नागरिकों से लिया जाने वाला कर
    108. मित्रबल : मित्र राज्य की सेना
    109. मेगास्थनीज : चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया राजदूत
    110. मौहूर्तिक : राज ज्योतिष
    111. मौल : प्रान्तीय सैन्य टुकड़ी युक्त खोई हुई सम्पत्ति प्राप्त होने पर उसकी रक्षा करने वाला अधिकारी
    112. योनिपोषक : राजभवन का पशु अधिकारी
    113. युक्त : जिला कोषाध्यक्ष या शाही सचिवालय का लेखा अधिकारी
    114. रक्षिण : पुलिसकर्मी (आन्तरिक)
    115. रथिक : सारथी
    116. रज्जु : भूसर्वेक्षण से सम्बन्धित कर
    117. राष्ट्रमुख्य : राज्यपाल, राष्ट्रपाल या ईश्वर
    118. रंगोपजीवी : पुरुष कलाकार
    119. रूपाजीवा : मुक्त रूप से वेश्यावृत्ति करने वाली
    120. रूपदर्शक : सिक्के का अधिकारी
    121. राजुक : चौथे स्तम्भ लेख के अनुसार अशोक कहता है कि मैंने प्रजा के सुख व कल्याण के लिए राजुकों की नियुक्ति की है, 26वें वर्ष अशोक ने स्वतन्त्रतापूर्वक कार्य करने की इजाजत दी
    122. लक्षणाध्यक्ष : मुद्रा विभाग का निरीक्षक
    123. लवणाध्यक्ष : नमक विभाग का अध्यक्ष
    124. वात भूमि : गन्ना उगाये जाने वाली भूमि
    125. वर्धकी : राज बढ़ई
    126. विविताध्यक्ष : चारागाहों का प्रमुख
    127. वार्ता : व्यापार, पशुपालन व कृषि का संयुक्त शब्द
    128. वोहारिक : न्याय प्रशासन महामात्र
    129. शण्ड भूमि : फल उगाने वाली भूमि
    130. शूनाध्यक्ष : बूचड़खाना अध्यक्ष
    131. शैलखनक : मूर्तिकार
    132. शुल्काध्यक्ष : उत्पाद शुल्क अध्यक्ष
    133. शून्यपाल : राजा के बाहर होने पर यह अधिकार उसका भार लेता था
    134. संस्था : एक स्थान पर कार्य करने वाले गुप्तचर
    135. संचारा : भ्रमणशील गुप्तचर
    136. सामन्त दुर्ग : विदेशी राजा का दुर्ग
    137. समाहर्ता : राजस्व वसूलने वाला
    138. सप्तांग : कौटिल्य के अनुसार राज्य के जरूरी सात तत्त्व – 1. राजा, 2. अमात्य, 3. जनपद, 4. दुर्ग, 5. कोष, 6. सेना, 7. मित्र
    139. सीताध्यक्ष : कृषि विभाग का अध्यक्ष
    140. सन्निधाता : कोषाध्यक्ष
    141. सीता : सरकारी भूमि से आय
    142. संस्थाध्यक्ष : व्यापारिक मार्गों का प्रमुख
    143. संग्रहण : 10 ग्रामों का मुख्यालय
    144. स्थानिक : जिला राजस्व अधिकारी
    145. सुराध्यक्ष : आबकारी अध्यक्ष
    146. सुत्राध्यक्ष : कताई-बुनाई अध्यक्ष
    147. सौवर्णिक : सुनार
    148. हिरण्य : नकद लिया जाने वाला कर

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