Skip to main content

अटलांटिक महासागर की जलधाराएँ – CURRENTS OF THE ATLANTIC OCEAN

 आज हम अटलांटिक महासागर की जलधाराओं (Currents of the Atlantic Ocean) के बारे में जानेंगे. इसके कितने प्रकार (types) हैं औरये कब-कहाँ बहती हैं और इनके नाम कब और कैसे बदल जाते हैं, ये सब की चर्चा करेंगे.

नोट: यदि आप इस पोस्ट को बिना Map reading के पढ़ने वाले हैं तो आपके दिमाग में कुछ नहीं आने वाला है. आप सामने अपने विश्व के map को रखें. य

TYPES OF ATLANTIC OCEAN CURRENTS

अटलांटिक महासागर की जलधाराएँ (Currents of the Atlantic Ocean) के नाम इस प्रकार हैं –

  1. अंटार्कटिक प्रवाह या ड्रिफ्ट (Atlantic Drift)
  2. बेंगुएला जलधारा (Benguela Current)
  3. दक्षिण विषुवतरेखीय जलधारा (South Equatorial Current)
  4. ब्राजील जलधारा (Brazil Current)
  5. गल्फ स्ट्रीम (Gulf Stream)
  6. उत्तरी अतलांटिक प्रवाह (North Atlantic Drift)
  7. कैनेरी जलधारा (Canary Current)
  8. उत्तर विषुवतरेखीय जलधारा (North Equatorial Current)
  9. प्रतिकूल विषुवतरेखीय जलधारा (Counter Equatorial Current)
  10. लैब्रेडोर जलधारा (Labrador Current)
  11. ग्रीनलैंड जलधारा (Greenland Current)
  12. फाकलैंड जलधारा (Falkland Current)

MAP OF THESE CURRENTS

atlantic_ocean_currents

ऊपर दिए गए चित्र में जलधाराओं की दिशा देखें. जलधाराओं के नंबर ऊपर दिए गए लिस्ट के नंबर के अनुसार है. दक्षिण अटलांटिक में दक्षिणी ध्रुव की ओर से (अंटार्कटिक महासागर से) ठन्डे जल का एक प्रवाह पश्चिम से पूर्व की ओर चलता है, जो दक्षिणी ध्रुवीय प्रवाह या अंटार्कटिक ड्रिफ्ट कहलाता है. इसी तरह ठन्डे जल की एक धरा दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी किनारे से होकर उत्तर की ओर चलती है जिसे फाकलैंड जलधारा कहते हैं. अफ्रिका के दक्षिण-पश्चिमी तट से वाणिज्य पवन के कारण एक धारा विषुवत् रेखा की ओर चलती है जो बेंगुएला जलधारा कहलाती है. यह ठंडी जलधारा है और उत्तर की ओर बढ़ कर दक्षिण विषुवतरेखीय जलधारा में मिल जाती है. दक्षिणी विषुवतरेखीय जलधारा को पश्चिम की ओर बढ़ने के लिए उतना विस्तृत क्षेत्र नहीं मिलता जितना प्रशांत महासागर में इस नाम की जलधारा को मिलता  है. यहाँ यह धारा आगे बढ़ने पर ब्राजील के सेंट रॉक अंतरीप (St. Rock Foreland) से टकराकर दो  भागों में विभाजित हो जाती है. एक दक्षिण की ओर (ब्राजील के किनारे-किनारे) जाती है और ब्राजील जलधारा कहलाती है, दूसरी उत्तर-पश्चिम की ओर दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी तट से कैरेबियन समुद्र (Caribbean sea Sea) में चल जाती है जहाँ उत्तरी विषुवतरेखीय जलधारा से मिलकर मेक्सिको की खाड़ी में पहुँच जाती है. आगे बढ़ने पर (मेक्सिको गल्फ से फ्लोरिडा होकर) यह गल्फ स्ट्रीम कहलाती है. यह भी गर्म जल की धारा है और संयुक्त राज्य अमेरका के पूर्वी किनारे से होकर उत्तरी अटलांटिक महासागर में चली जाती है. इसके उत्पन्न होने में पश्चिमी पवन (Westerly Wind) का जबरदस्त हाथ है. इसकी तुलना क्यूरोशिवो (Kuroshio current) से की जाती है. यह धारा आगे बढ़ने पर शीघ्र चौड़ी हो जाती है और 45° पश्चिमी देशांतर के पास कई दिशाओं में मुड़ जाती है, अतः इसका नाम उत्तरी अटलांटिक ड्रिफ्ट (प्रवाह) पड़ जाता है. उत्तर वाली शाखा आइसलैंड की ओर, उत्तर-पूर्व वाली शाखा ब्रिटिश द्वीपपुंज (British Archipelago) के उत्तर और नार्वे के पश्चिम से होते हुए स्पिट्सबर्गेन (Spitsbergen) की तरफ और पूर्व वाली शाखा स्पेन-पुर्तगाल की ओर चली जातीहै. उत्तरी अटलांटिक प्रवाह गर्म रहता है. स्पेन-पुर्तगाल के पास पहुँचने पर वाणिज्य पवन के प्रभाव में आकर यह शाखा दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ जाती है और कैनेरी द्वीप और उ.-प. अफ़्रीकी तट से होते हुए उत्तर विषुवतरेखीय जलधारा में मिल जाती है. अफ्रिका के तट पर यह कैनेरी जलधारा कहलाती है. यह एक ठंडी जलधारा है क्योंकि यह ठन्डे प्रदेश में आती है. उत्तर विषुवतरेखीय जलधारा को भी अतलांटिक महासागर में चलने के लिए विस्तृत क्षेत्र नहीं मिलता. यह पश्चिम की ओर चलती हुई पश्चिमी द्वीपसमूह के पास उत्तर की ओर मुड़ जाती है. इस प्रकार उत्तरी अतलांटिक के मध्य में भी एक शांत सागर-क्षेत्र मिलता है जिसके चारों ओर चक्कर काटती हुई जलधाराएँ चलती रहती हैं. उत्तरी और दक्षिणी विषुवतरेखीय जलधाराओं के बीच भी प्रतिकूल विषुवतरेखीय (पश्चिम से पूर्व की ओर) चलती है.

उत्तरी अटलांटिक (North Atlantic) के उत्तरी भाग में ध्रुवीय क्षेत्र से दो ठंडी धाराएँ आती हैं – एक बेफिन की खाड़ी से होती हुई लैब्राडोर और न्यूफाकलैंड के पूर्वी तटों की तरफ और दूसरी ग्रीनलैंड के पूर्वी तट से होती हुई दक्षिण की ओर. इन्हें क्रमशः लैब्रेडोर जलधारा और ग्रीनलैंड जलधारा कहते हैं. लैब्रेडोर जलधारा दक्षिण में हत्रास अंतरीप तक आते-आते समाप्त हो जाती है. ग्रीनलैंड जलधारा में हिमशालायें चली आती हैं जो जलपोतों के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं.

वैज्ञानिकों द्वारा सामुद्रिक जलधाराओं का अध्ययन जारी है. समुद्र-तल पर इनकी चाल, इनकी गति, अभी भी रहस्य बनी हुई है. ये कभी-कभी अपनी दिशा बदल देती है. ऐसा क्यों? यह पूरी तरह हम आज तक नहीं जान पाए हैं.

Comments

Popular posts from this blog

तापमान को प्रभावित करने वाले कारक – FACTORS AFFECTING TEMPERATURE

  आज हम तापमान (temperature) को प्रभावित करने वाले कारकों (factors) की चर्चा करेंगे. किसी क्षेत्र का तापमान क्यों अधिक और क्यों कम होता है, इस बात को हम इस आर्टिकल के द्वारा समझने की कोशिश करेंगे. यदि किसी क्षेत्र का तापमान अधिक है तो इसका साफ़ मतलब होता है कि वहाँ बहने वाली वायु गर्म है. इसलिए क्यों न हम ये जानें कि वायु का तापक्रम किन चीजों से प्रभावित होता है? पृथ्वी के विभिन्न भागों में वायु के तापक्रम पर प्रभाव डालने वाली प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं  – अक्षांश (Latitude) पृथ्वी की उभरी हुई गोलाई के कारण उस पर सभी जगह एक-सी सूर्य की किरणें नहीं पड़तीं. कहीं वे सीधी पड़ती हैं और कहीं तिरछी. सीधी किरणों की अपेक्षा तिरछी किरणें अधिक क्षेत्र में फैलती हैं, फलतः उनसे पृथ्वी पर कम गर्मी उत्पन्न होती है और उसके सम्पर्क में आने वाली वायु कम गर्म हो पाती है. इस चित्र में विषुवतीय (Equator) रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ रही हैं और ध्रुवों पर तिरछी. ध्रुवों के पास अपेक्षाकृत अधिक क्षेत्र में किरणें फैलती हैं. साथ ही, विषुवत् रेखा (equator) पर सूर्य की किरणों को वायुमंडल का कम भाग...

पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून क्या है? NORTHEAST MONSOON IN HINDI

  पूर्वोत्तर मानसून   (northeast monsoon) अर्थात् शीतकालीन मानसून पिछले दिनों समाप्त हुआ. इस बार कुल मिलाकर इस समय औसत से अधिक वृष्टिपात हुआ. एक बड़ी विरल घटना यह हुई कि जिस दिन  दक्षिण-पश्चिम का मानसून  समाप्त हुआ, उसी दिन शीतकालीन मानसून चालू हुआ. पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून क्या है? उत्तर भारत के लोग इस मानसून के बारे में कम जानते हैं. परन्तु यह मानसून भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु प्रणाली का उतना ही स्थायी अंग है जितना कि ग्रीष्मकालीन अर्थात् दक्षिण-पश्चिम मानसून. भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) के अनुसार पूर्वोत्तर मानसून  अक्टूबर से दिसम्बर  तक चलता है. इस अवधि में तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना और कर्नाटक के कुछ भागों में वृष्टिपात होता है. पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिम मानसून में अंतर जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि पूर्वोत्तर मानसून की दिशा पूर्वोत्तर से दक्षिण-पश्चिम होती है. उसी प्रकार दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा इसके ठीक उल्टी अर्थात् दक्षिण-पश्चिम से पूर्वोत्तर होती है. पूर्वोत्तर मानसून कब आता ...

वर्षा के TYPES, REASONS, MEASUREMENT और DISTRIBUTION

  वर्षा (Rain) के लिए दो बातों का होना अत्यंत आवश्यक है – वायु में पर्याप्त   जलवाष्प   का होना और ऐसे साधन का होना जिससे वाष्पयुक्त वायु ठंडी होकर घनीभूत (condensate) हो सके. आज हम वर्षा के विषय विस्तृत जानकारी (information) आपको देने वाले हैं. आज हम इस लेख में पढेंगे कि वर्षा कैसे होती है, इसके कितने प्रकार (types) हैं, इसे कैसे मापा (measure) जाता है और इसका वितरण (distribution) विश्व में कहाँ-कहाँ किस प्रकार है आदि. वाष्प से युक्त वायु निम्नलिखित प्रकार से ठंडी हो सकती है – गर्म वायु का हल्की होकर ऊपर उठना और ऊपर जाकर फ़ैल जाना. गर्म वायु का ऊँचे पर्वतों के संपर्क में आकर उनके ऊपर चढ़ना और ऊँचाई पर जाकर हिमाच्छादित भाग के संपर्क में ठंडा होना. गर्म वायु का ठन्डे अक्षांशों की ओर बढ़ना. गर्म वायु का ठंडी वायु या ठंडी जलधारा के संपर्क में आने से ठंडा हो जाना. वर्षा के प्रकार (TYPES OF RAIN) पृथ्वी पर होने वाली वर्षा मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है – वाहनिक (Convectional Rain) पर्वतीय वर्षा (Relief Rain) चक्रवातीय वर्षा (Cyclonic Rain) वाहनिक वर्षा वाहनिक वर्षा (Convectio...