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Important Temples in India:

S.NONAME OF THE TEMPLESTATE
1Konark Sun TempleOdisha
2Jagannath TempleOdisha
3Lingaraja TempleOdisha
4Ramanathaswamy TempleTamil Nadu
5Meenakshi TempleTamil Nadu
6Ranganathaswamy TempleTamil Nadu
7Brihadeeswara TempleTamil Nadu
8Rajagopalaswamy TempleTamil Nadu
9Nataraja TempleTamil Nadu
10Vaishno Devi TempleJammu& Kashmir
11Amarnath Cave TempleJammu& Kashmir
12Khajuraho TempleMadhya Pradesh
13Sanchi StupaMadhya Pradesh
14Lord Venkateswara TempleAndhra Pradesh
15Vishwanath TempleUttar Pradesh
16Somnath TempleGujarat
17Dwarakadish TempleGujarat
18Padmanabhaswamy TempleKerala
19Virupaksha TempleKarnataka
20Gomateswara TempleKarnataka
21Ranakpur TempleRajasthan
22Siddivinayak TempleMaharashtra
23Golden TemplePunjab
24Badrinath TempleUttarakhand
25Yamunotri TempleUttarakhand
26Gangotri TempleUttarakhand

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तापमान को प्रभावित करने वाले कारक – FACTORS AFFECTING TEMPERATURE

  आज हम तापमान (temperature) को प्रभावित करने वाले कारकों (factors) की चर्चा करेंगे. किसी क्षेत्र का तापमान क्यों अधिक और क्यों कम होता है, इस बात को हम इस आर्टिकल के द्वारा समझने की कोशिश करेंगे. यदि किसी क्षेत्र का तापमान अधिक है तो इसका साफ़ मतलब होता है कि वहाँ बहने वाली वायु गर्म है. इसलिए क्यों न हम ये जानें कि वायु का तापक्रम किन चीजों से प्रभावित होता है? पृथ्वी के विभिन्न भागों में वायु के तापक्रम पर प्रभाव डालने वाली प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं  – अक्षांश (Latitude) पृथ्वी की उभरी हुई गोलाई के कारण उस पर सभी जगह एक-सी सूर्य की किरणें नहीं पड़तीं. कहीं वे सीधी पड़ती हैं और कहीं तिरछी. सीधी किरणों की अपेक्षा तिरछी किरणें अधिक क्षेत्र में फैलती हैं, फलतः उनसे पृथ्वी पर कम गर्मी उत्पन्न होती है और उसके सम्पर्क में आने वाली वायु कम गर्म हो पाती है. इस चित्र में विषुवतीय (Equator) रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ रही हैं और ध्रुवों पर तिरछी. ध्रुवों के पास अपेक्षाकृत अधिक क्षेत्र में किरणें फैलती हैं. साथ ही, विषुवत् रेखा (equator) पर सूर्य की किरणों को वायुमंडल का कम भाग...

पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून क्या है? NORTHEAST MONSOON IN HINDI

  पूर्वोत्तर मानसून   (northeast monsoon) अर्थात् शीतकालीन मानसून पिछले दिनों समाप्त हुआ. इस बार कुल मिलाकर इस समय औसत से अधिक वृष्टिपात हुआ. एक बड़ी विरल घटना यह हुई कि जिस दिन  दक्षिण-पश्चिम का मानसून  समाप्त हुआ, उसी दिन शीतकालीन मानसून चालू हुआ. पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून क्या है? उत्तर भारत के लोग इस मानसून के बारे में कम जानते हैं. परन्तु यह मानसून भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु प्रणाली का उतना ही स्थायी अंग है जितना कि ग्रीष्मकालीन अर्थात् दक्षिण-पश्चिम मानसून. भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) के अनुसार पूर्वोत्तर मानसून  अक्टूबर से दिसम्बर  तक चलता है. इस अवधि में तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना और कर्नाटक के कुछ भागों में वृष्टिपात होता है. पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिम मानसून में अंतर जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि पूर्वोत्तर मानसून की दिशा पूर्वोत्तर से दक्षिण-पश्चिम होती है. उसी प्रकार दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा इसके ठीक उल्टी अर्थात् दक्षिण-पश्चिम से पूर्वोत्तर होती है. पूर्वोत्तर मानसून कब आता ...

वर्षा के TYPES, REASONS, MEASUREMENT और DISTRIBUTION

  वर्षा (Rain) के लिए दो बातों का होना अत्यंत आवश्यक है – वायु में पर्याप्त   जलवाष्प   का होना और ऐसे साधन का होना जिससे वाष्पयुक्त वायु ठंडी होकर घनीभूत (condensate) हो सके. आज हम वर्षा के विषय विस्तृत जानकारी (information) आपको देने वाले हैं. आज हम इस लेख में पढेंगे कि वर्षा कैसे होती है, इसके कितने प्रकार (types) हैं, इसे कैसे मापा (measure) जाता है और इसका वितरण (distribution) विश्व में कहाँ-कहाँ किस प्रकार है आदि. वाष्प से युक्त वायु निम्नलिखित प्रकार से ठंडी हो सकती है – गर्म वायु का हल्की होकर ऊपर उठना और ऊपर जाकर फ़ैल जाना. गर्म वायु का ऊँचे पर्वतों के संपर्क में आकर उनके ऊपर चढ़ना और ऊँचाई पर जाकर हिमाच्छादित भाग के संपर्क में ठंडा होना. गर्म वायु का ठन्डे अक्षांशों की ओर बढ़ना. गर्म वायु का ठंडी वायु या ठंडी जलधारा के संपर्क में आने से ठंडा हो जाना. वर्षा के प्रकार (TYPES OF RAIN) पृथ्वी पर होने वाली वर्षा मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है – वाहनिक (Convectional Rain) पर्वतीय वर्षा (Relief Rain) चक्रवातीय वर्षा (Cyclonic Rain) वाहनिक वर्षा वाहनिक वर्षा (Convectio...